8TH SEMESTER ! भाग- 92( New War-2)
"घूरता क्या है बे... चल बाजू खिसक... "
और जब मुझे घूरते हुए वो लड़का बाजू सरक गया तो शर्ट मे फंसा हुआ मैने अपना गॉगल निकाला और पहनते हुए मस्त आराम से अपने दोनों पैर सामने वाले बेंच पर पसारते हुए क्लास मे चिल्लाया
"किसी ने मेरी प्रॉक्सी मारी क्या बे.... या फिर एब्सेंट चढ़ गया..."
"मैने कोशिश की थी,लेकिन पकड़ा गया..."सुलभ ने अपना हाथ खड़ा करके कहा..."तेरे साथ-साथ मेरा भी आज का अटेंडेन्स काट दी,साली विभा .."
"कोई बात नही, नयी-नयी टीचर बनी है तो कुछ मस्ती कुछ ज़्यादा है... आन दे अभी..एकात हफ्ते मे लाइन मे आ जायेगी "
"सिदार के बारे मे मालूम चला..???."सुलभ जो की अब सामने से उठकर मेरे बगल मे बैठ गया था उसने मुझसे पुछा...
"नही.."
"सिदार इसी शहर मे रहेगा.. NTPC मे MTL भाई की जॉब लग गयी है..."
"क्या बात कर रहा है... तब तो एमटीएल भाई से पार्टी लेनी पड़ेगी... NTPC मे जॉब... माँ कि आँख... मानना पड़ेगा बे सिदार भाई को... भारी टैलेंटेड लड़का है..."
"Yep..true "सुलभ ने कहा...
सुलभ हाइट, हेल्थ, वेल्थ सबमे मुझसे कम था... लेकिन दिमाग़ के मामले मे वो मुझसे कहीं आगे था...यदि कोई टीचर अपना लेक्चर ख़त्म करने के बाद अपना घिसा-पिटा डाइलॉग मारते हुए बोले कि"इसे कोई समझा पाएगा क्या पूरी क्लास को..."तो सबसे पहला हाथ पूरी क्लास मे सुलभ का उठता था...और वो टीचर्स के लेक्चर्स को मॉडिफाइ करके बहुत ही शालीनता से समझता....या फिर ये कहे कि सुलभ की कैचिंग पावर बहुत जबरदस्त थी... वो टीचर्स के लेक्चर को टीचर्स से अच्छा दे लेता था..
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खैर, मुझे ये जानकार थोड़ी खुशी हुई की सिदार इसी शहर मे है और उससे भी बड़ी खुशी तब हुई,जब उन्होने पार्टी के लिए हां कर दिया...
"यार भूख लगी है...आना कुछ खा-पी कर आते है..."अपने पेट पर हाथ फिराते हुए अरुण बोला...
"चलो..."मैं,सुलभ और सौरभ...वहाँ से उठे और सीधे कैंटीन की तरफ चल दिए....
फर्स्ट एअर मे हॉस्टल के जिस सीनियर ने वरुण के साथ मिलकर मेरी रैगिंग ली थी वो अब एक साल के बाद मुझे दिखने लगा था...वो मुझसे एक शब्द भी नही बोलता लेकिन उसकी आँखे बहुत कुछ कह जाती थी...वो कुछ सोच रहा था,शायद मेरे बारे मे या फिर अपने बदले के बारे मे....और इस वक़्त वो कैंटीन मे मेरे सामने वाली चेयर पर वरुण के साथ बैठा हुआ था.... जब से वरुण और उसके दोस्तों को हमने खूनी ग्राउंड मे पेला था..तब से मानो सीनियर्स शब्द से हम अनजान ही हो गये थे.. हमें कोई मतलब नहीं रहता था कि..सामने वाला सीनियर है या जूनियर... हम अपनी दबंगई मे हर दम रहते...
"अरमान, ये साला तुझे घूर रहा है...तू बोल तो अभी साले को चाउमीन फेक के मारता हूँ..."अरुण ने लास्ट ईयर मेरी रैगिंग मे शामिल रहे हॉस्टल के उसी सीनियर को घूरते हुए कहा...
"काहे को फालतू मे लड़ाई कर रहा है...तू अपना टंकी जैसा पेट भर... वैसे भी चौमिन बहुत महंगा है साले..."
"सही बोल रहा है..तू ..."
दिल तो मेरा भी कर रहा था कि हॉस्टल के उस आस्तीन के साँप का मैं मुँह कुचल दूं...लेकिन मैने ऐसा कुछ नही किया,क्यूंकी मेरे sixth sense ने मुझे बहुत बड़े लफडे की चेतावनी दे डाली थी...जिसमे मेरी हार हुई थी..जो फिलहाल मैं नही चाहता था....
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"एक-एक प्लेट समोसा मस्त बना के देना बे...."अरुण ने कैंटीन मे सॉफ-सफाई करने वाले एक छोटे लड़के से अगला आर्डर लाने को कहा....
"वो देख अरमान... सामने...तेरे फेवरेट कपल.."सौरभ कैंटीन के गेट की तरफ इशारा करते हुए बोला...
"ये तो ऐश और गौतम है..."
अरुण : देख...कैसे चिपकी रहती है ऐश ,गौतम से...मेरी बात मान अभी वक़्त है, उसको छोड़ और दूसरी ढूँढ...फर्स्ट ईयर मे इस बार मस्त टनाका माल आई है...
"चुप कर बे...यही तो प्यार है पगले.."
अरुण : क्या घंटा का प्यार है...ऐश ने तुझे एक नज़र उठा कर नही देखा और कहता है प्यार है... ..
"हां यार, उसने तो टोटली इग्नोर मार दिया..."कहते हुए मैने अपने चेहरे पर हाथ से टेक लगाई और ऐश को देखने लगा....जो की गौतम को पसंद नही आया, वो अपनी जगह से उठा और सीधे मेरी तरफ बढ़ने लगा....
गौतम को अपनी तरफ आता देख मेरे अंदर एक हल चल सी मच गयी और अपने दोस्तो के सामने इस हलचल को छुपाने के लिए मैने भरी दरबार मे जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला और एक सिगरेट निकाल कर ऐसे ही मुँह मे फंसा लिया..ताकि गौतम & गैंग को आभास तक ना हो की सिदार कि अनुपस्थिति मे मेरी फटी पड़ी है........
"ये कॉलेज कैंटीन है ,तेरा घर नही...जो तू यहाँ बीड़ी-सिगरेट पियेगा ..."
"बीड़ी -सिगरेट...??? कुछ देर बाद मैं तो दारू का ऑर्डर देने वाला हूँ .."
"बकवास बंद कर और ये बोल कि बास्केटबॉल प्रैक्टिस करने का क्या लेगा...."हमारे सामने एक खाली चेयर पर बैठकर गौतम बोला"ये मत समझ लेना की ये सब मैं कह रहा हूँ या फिर मैं चाहता हूँ कि तू हमारी टीम मे आए...ऐसा तो कोच ने कहा है....पता नही उन्हे क्या दिख गया तुझमे...जबकि हमारे पाँचो मेन प्लेयर्स अच्छा खेलते है..."
"अच्छा खेलना अलग बात है और सबसे अच्छा खेलना अलग बात है...तुम सब बेशक कोर्ट मे दमदार खेल खेलकर अपनी टीम को आगे रख सकते हो ,लेकिन तुम इससे मैच जीत नही पाओगे..."
"तो तेरे कहने का मतलब तू वो प्लेयर है..."
"99 % ,sure .."
"तो फिर आज सबके सामने एक-एक मैच हो जाए...जिसमे सिर्फ़ मैं और तू रहेंगे...."
"सॉरी...not interested..."बोलते हुए मैने कैंटीन मे ऑर्डर सर्व करने वाले उस छोटे से लड़के को इशारे से अपने पास बुलाया...
"बोल ना डर गया..."
"अरमान क्यूँ इसको झेल रहा है...तू बोल तो अभी इसको पेल दूं..."अपने दाँत पीसते हुए अरुण ने कहा....
"चल शुरू हो जा..."वरुण, जो कि सामने वाली एक टेबल पर बैठा था ,वहाँ से उठकर सीधे हमारी तरफ आया और साथ मे हॉस्टल का वो सीनियर भी....
"हां बोल ,क्या बोल रहा था..."अरुण की तरफ नज़र गढ़ाकर वरुण ने पुछा और सुलभ को वहाँ से जाने के लिए कहा...क्यूंकी सुलभ सिटी मे रहता था और वरुण के कुछ दोस्तो से उसकी दोस्ती भी थी....
"अब बोल, चैलेंज एक्सेप्ट करेगा या नही.."गौतम अब भी अपनी बात पर अटका हुआ था.... वही दूसरी ओर वरुण, उस हॉस्टल के सीनियर के साथ भी वही आकर खड़ा हो गया था... ऊपर से उनके पीछे 15-20 सिटी वाले लड़को कि फ़ौज... सिदार के ना होने का यही घाटा है, अभी यदि सिदार कॉलेज मे रहता तो साले मूत देते ये सब उसके नाम से... पर फिर अरमान तो अरमान है... अब जब बात इज्जत पे आ जाए तो जब थाली के आखिरी दाने तक और शरीर मे आखिरी सांस जब तक रहेगी...लड़ूंगा.
इसलिए अंदर से डरते हुए,लेकिन बाहर से एकदम नार्मली behave करते हुए मैने कहा...
"मैं तुझे अपना फाइनल रिज़ल्ट बताऊ, गौतम...?? पर उससे पहले एक कहानी सुन....जब मैं 7th क्लास मे था तब मेरे स्कूल का प्रिन्सिपल मुझे बहुत परेशान किया करता था...साला क्लास मे हर उच-नीच का ज़िम्मेदार मुझे ठहराता था और फिर मारता भी बहुत था...उस वक़्त ना तो मुझे वो प्रिन्सिपल पसंद था और ना ही वो स्कूल...मैं चाहता था कि वो मुझे खुद स्कूल से निकाल दे...इसलिए मैने एक दो बार बहुत बड़े-बड़े कांड भी किए...लेकिन मुझे स्कूल से निकालने की बजाय उसने मुझे सिर्फ़ मारा-पीटा और फिर घर पर शिकायत भेजी...उससे परेशान होकर मैने एक दिन अपने स्कूल के प्रिन्सिपल की बेटी को जाकर सीधे यही कहा कि ""क्या वो मेरे से सेक्स करेंगी .."" और उसके बाद प्रिन्सिपल ने तुरंत मुझे स्कूल से निकाल दिया...."
"इस कहानी की बत्ती बनाकर पिछवाड़े मे भर ले.."
"ये कहानी सुनकर मैं तुम सबको ये समझाना चाहता था कि यदि मुझे जो चीज़ पसंद हो तो उसे हासिल करने से तुम सबका बाप भी नही रोक सकता...और जो चीज़ मैं पसंद नही करता ,उसके लिए मेरा बाप भी कुछ नही कर सकता... और यदि मैं तुमलोगो से बदला नहीं ले पाया तो तुम्हारे माँ -बाप.. भाई -बहन से बदला लूंगा... ."
" क्या बात है, अरमान सर.... पर क्या तूने आज कॉलेज आने से पहले ये सोचा था कि आज तेरी ठीक वैसी ही पेलाइ होगी...जैसे कि फर्स्ट ईयर मे हुई थी..."अबकी वरुण सामने आते हुए बोला और जोर से टेबल पर अपना हाथ पटका
"फर्स्ट ईयर मे पेलाई तो तेरी भी हुई थी... वो भी तेरी माल के सामने... कैसी कुतिया बनी रो रही थी.. तू भूल गया क्या... साले, हरामी वरुण "वरुण को ताव मे आता देख, अरुण भी ताव मे आ गया और खड़े होकर उसने भी टेबल पर अपना हाथ जोर से पटका... मानो उसने वरुण की ललकार को स्वीकार कर लिया हो...
"लौंडो... पेलना चालु करो..सालो को..."वरुण ने पीछे मुड़कर अपने दोस्तों से कहा और तुरंत 10-15 के लगभग लड़के कैंटीन मे अपनी -अपनी जगह से उठ खड़े हुए.... अरुण ने अपना हाथ बांधा और मुक्का बना कर लड़ाई के लिए तैयार हो गया...
"अरमान... मार खाएंगे तो खाएंगे... लेकिन कुत्तो कि तरह नहीं... बल्कि इन सबको कुत्ता बनाकर... भले ही कुछ पल के लिए ही सही... जीतेंगे तो नहीं और बहुत बुरी हालत भी होने वाली है, बस कोशिश करना कि चेहरा ना बिगड़े..."
अरुण को लड़ाई के लिए सज्ज खड़ा देख मैने चारो तरफ देखा... उस एक पल समय मेरे लिए मानो रुक सा गया था... मुझे किसी कि हलकी सी आवाज़ भी ऐसे लगती मानो वहा लाउड स्पीकर लगा हो.. मैने वरुण और गौतम के दोस्तों को हमारी तरफ बढ़ते हुए देखा... अरुण सही कह रहा था की... हम दोनों आज बहुत बुरी तरह मार खाने वाले है... इसलिए शान से मार खाये.... ये अरुण का प्लान था... और अब यदि बात करू अपनी तो...... यानी श्री अरमान के प्लान की तो...
"अरुण , छोड़ सालो को.. तू बस दाँगी अंकल को फोन लगा कर बोल की कुछ सीनियर लड़के कैंटीन मे मुझे धमका रहे है... अभिये गन -गना के यहाँ पहुंच जायेंगे... पूरी पुलिस फाॅर्स के साथ और एक -एक को बाल पकड़ कर घसीटते हुए यहाँ से थाने ले जाएंगे... जल्दी लगा फ़ोन."
"दांगी कौन..?? SP दांगी..???" मेरे मुँह से दांगी का नाम सुनते ही हमारी तरफ बढ़ रहे लौंडो मे एक ने पूछा
"Yep... आओ तुमलोग... ऐसे पेलेंगे दांगी अंकल ना की... तुम सबकी माँ -बहन एक हो जायेगी .."